क्या है कबीर साहेब जी का प्राकट्य दिवस?

वेदों में वर्णित है कि पूर्ण परमेश्वर कभी भी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता है, वह स्वयं सतलोक से अवतरित होते हैं और निसंतान दंपत्ति को प्राप्त होते हैं। कबीर प्रकट दिवस वही दिन है जब कबीर परमेश्वर अपनी राजधानी सतलोक से चल कर नवजात शिशु का रूप बना कर काशी, उत्तर प्रदेश में लहरतारा तालाब मेें एक कमल के फूल पर अवतरित हुए। बालक रूप में अवतरित हुए कबीर परमेश्वर को कमल के फूल पर से उठा कर नीरू-नीमा अपने घर ले गए जो उनके मुंह बोले माता-पिता कहलाए।

  • 1

    भक्त समाज को पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी की शास्त्र अनुकूल साधना प्रदान करना

  • 2

    लोगों में जाति, रंग, भेद, ऊंच नीच, धर्म और बेटा बेटी के भेदभाव को खत्म कर, समाज को एक जुट करना

  • 3

    नशा मुक्त समाज बनाना, दहेज मुक्त भारत बनाना, भ्रष्टाचार मुक्त समाज तैयार करना

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संत रामपाल जी महाराज जी

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पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब हैं सभी आत्माओं के जनक

ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को सन 1398 (विक्रमी संवत 1455) को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर सतलोक से सशरीर आकर शिशु रूप में लहरतारा तालाब में एक खिले हुए कमल के पुष्प पर विराजमान हुए। इस घटना के प्रत्यक्ष दृष्टा स्वामी रामानन्द जी के शिष्य ऋषि अष्टानांद जी थे जो प्रतिदिन सुबह वहाँ साधना के लिए जाते थे।

नीरू नीमा शिशु रूप में कबीर परमात्मा को घर ले आये। 25 दिनों तक बालक रूप में आए कबीर साहेब ने कुछ भी ग्रहण नहीं किया। इस बात से नीरू और नीमा अत्यंत दुखी थे। दुखी होकर नीरू-नीमा ने भगवान शिव से प्रार्थना की क्योंकि वे भगवान शिवजी के अनुयायी थे। तब शिवजी एक साधु का वेश बनाकर आये तथा नीमा ने अपनी सारी व्यथा शिवजी को सुनाई। कबीर जी के बताए अनुसार शिवजी ने नीरू को कुंवारी गाय लाने का आदेश दिया। कुंवारी गाय पर हाथ रखते ही गाय ने दूध देना प्रारंभ कर दिया और वह दूध कबीर साहेब ने पिया। परमात्मा की इस लीला का ज़िक्र वेदों में भी है।

(ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9)। सभी सद्ग्रंथों जैसे यजुर्वेद अध्याय 29 मन्त्र 25, ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 17, ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 96 मन्त्र 18 ,ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 1 मन्त्र 9 पवित्र कुरान शरीफ, सूरत फुरकान 25, आयत 52 से 59, पवित्र बाइबल के उत्पत्ति ग्रन्थ के अध्याय 1:26 और 1:27 तथा गुरु ग्रन्थ साहेब के पृष्ठ 24 राग सिरी, महला 1, शब्द संख्या 9; गुरु ग्रंथ साहेब पृष्ठ 721 महला 1 तथा गुरु ग्रंथ साहेब, राग असावरी, महला 1 में प्रमाण है की कबीर साहेब ही सभी आत्माओं के जनक तथा पूर्ण परमात्मा हैं।

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