वेदों में वर्णित है कि पूर्ण परमेश्वर कभी भी माता के गर्भ से जन्म नहीं लेता है, वह स्वयं सतलोक से अवतरित होते हैं और निसंतान दंपत्ति को प्राप्त होते हैं। कबीर प्रकट दिवस वही दिन है जब कबीर परमेश्वर अपनी राजधानी सतलोक से चल कर नवजात शिशु का रूप बना कर काशी, उत्तर प्रदेश में लहरतारा तालाब मेें एक कमल के फूल पर अवतरित हुए। बालक रूप में अवतरित हुए कबीर परमेश्वर को कमल के फूल पर से उठा कर नीरू-नीमा अपने घर ले गए जो उनके मुंह बोले माता-पिता कहलाए।
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वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज जी एकमात्र तत्वदर्शी संत हैं जिन्हें परमात्मा कबीर जी ने इस धरती पर सभी मनुष्यों को शास्त्र अनूकूल भक्ति और मोक्ष प्रदान करने के लिए भेजा है। भक्ति मार्ग में धर्म ग्रंथों की अहम भूमिका है और गीता का ज्ञान बोलने वाला प्रभु स्वयं कहता है कि पूर्ण परमात्मा की प्राप्ति के लिए उस तत्वदर्शी संत की शरण में जाना चाहिए जो शास्त्र अनुकूल साधना प्रदान करे। इसलिए सभी से करबद्ध प्रार्थना है कि तत्वदर्शी संत सतगुरु रामपाल जी महाराज जी के अद्भुत ज्ञान कोे समझें और उनसे नाम दीक्षा लेकर अपने परिवार का और अपना कल्याण करवाएं